शिमला से कमल सुल्तानपुरी भी टिकट के दावेदार, कांग्रेस में सियासी उठापठक के बीच नया नाम आया सामनेशिमला :17/मार्च/2024
शिमला से कमल सुल्तानपुरी भी टिकट के दावेदार, कांग्रेस में सियासी उठापठक के बीच नया नाम आया सामने
शिमला :17/मार्च/2024
शिमला संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से टिकट के दावेदारों में एक और नाम जुड़ गया है। इस क्षेत्र से पार्टी के एक दिग्गज नेता व छह बार के सांसद रहे स्व. केडी सुल्तानपुरी के पुत्र कमल सुल्तानपुरी का नाम भी यकायक उभर कर सामने आया है। कमल सुल्तानपुरी के भाई विनोद सुल्तानपुरी कसौली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। प्रदेश में चल रही राजनीतिक उठापटक में भाजपा व कांग्रेस में से कोई भी दल वर्तमान विधायकों को लोकसभा चुनाव में उतारकर जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है। अत: इसी राजनीतिक परिवार के किसी सदस्य को चुनाव में उतारकर व नए चेहरे को टिकट देकर कांग्रेस आलाकमान कुछ अप्रत्याशित खेलने के मूड में है। कमल सुल्तानपुरी इस समय केंद्र सरकार में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में संयुक्त पंजीयक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अपना सेवाकाल कंपीटीशन कमीशन ऑफ इंडिया में उपनिदेशक पद पर शुरू किया था।
कमल सुल्तानपुरी सेंट स्टीफन कालेज दिल्ली से स्नातक, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी, इंग्लैंड की वारविक यूनिवर्सिटी से एलएलएम कर चुके हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के कई नेताओं ने दिल्ली में संपर्क करके कमल सुल्तानपुरी से उनकी चुनाव में उतरने की इच्छा पूछी है। कांग्रेस भी चाहती है कि भाजपा के निवर्तमान सांसद की वायु सेना अॅाफिसर की पृष्ठभूमि को देखते हुए एक युवा व उच्च शिक्षा प्राप्त किसी उम्मीदवार को चुनाव में उतारा जाए। इस बारे में कमल सुल्तानपुरी का कहना है कि पार्टी से कुछ लोगों ने उनसे चुनाव में उतरने की इच्छा पूछी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी यदि उनके बारे में ऐसा सोचेगी, तो वह निश्चित तौर पर विचार करेंगे।
पार्टी के दिग्गज नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी
शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेस को अपने दिग्गज नेताओं से अपने-अपने क्षेत्र में लीड दिलवाने की आस है। शिमला संसदीय सीट में शिमला से विक्रमादित्य सिंह, रोहित ठाकुर, अनिरूद्व सिंह, सिरमौर से हर्षवर्धन चौहान व सोलन से डा. धनीराम शांडिल जैसे पांच मंत्री तथा मोहन ब्राक्टा, संजय अवस्थी, रामकुमार चौधरी, नंद लाल, विनय कुमार, नरेश चौहान जैसे कैबिनेट रैंक के नेताओं की भरमार है। इन सभी नेताओं पर न केवल कांग्रेस उम्मीदवार को लीड दिलाने बल्कि अपनी साख बचाए रखने का भी दबाव होगा।